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झूठी बुनियाद से
उठी है ये दुनिया,
झूठ ने जीता है
सच्चाई से जहाँ भी जगह मिली।
जिंदगी के हर मोड़ पर
झूठ ही हावी रहता है,
कहीं सच्चाई का पथ
भटका हो जाता है।
झूठ की डोर में
उलझे हुए हैं लोग हमारे,
सच्चाई की तलाश में कभी
नहीं मिलते उनसे वाकिफ होकर।
झूठी बुनियाद तोड़,
सच्चाई के रास्ते पे चल,
अपनी नजरों से देख ले
जीवन को फिर से उतार।
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