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याद आई जब कभी तो ये गुज़ारा कर लिया,
मेज़ पर तस्वीर रख उसका नज़ारा कर लिया,
जान थे तुम, जान लेकर, साथ अपने ले गए,
तुम नहीं हो साथ घर को सोगवारा कर लिया,
रोशनी फ़ीकी लगी अपने मकाँ की मुफलिसी!
चाँद को मेहमाँ किया,घर का&
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