Share0 Bookmarks 210633 Reads0 Likes
तन्हाई भी कैसे-कैसे जीवन खोती है,
फ़िक्र हदों से ज्यादा बोझा ढ़ोती है!
कोई दर्द छिपा लेता है हंसकर भी,
कोई आंख खुशी के पल में रोती है!
वैसे तो सब प्यार बांटते रहते हैं,
राजनीति ही बीज़ विषों के ब
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments