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क्या हुँ इतना महान ,
या खुदको समझ जाता हुँ,
खुदको क्यों ढूंढता रह जाता हुँ ।
कहीं खोया हुँ,
या कर रहा कोई ढोंग खुदसे,
मंज़िल को तलाशने क्यों भाग जाता हुँ ।
चाहे जल प्रपात हो या हो शांत सा मकब
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