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आज अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की वीरता को समर्पित एक रचना ।

Arvind YadavArvind Yadav December 16, 2021
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बात चली जब वीरों की तब , 
अभिमन्यु भी आए याद ।
एक अकेले लड़ते-लड़ते , 
चक्रव्यूह को किया बर्बाद ।।

चली दिनों दिन तेज लड़ाई , 
चला किसी का नहीं उपाय ।
करें कौन बिन अर्जुन के अब , 
बड़ी समस्या रही दिखाय ।।

लेकर अपना धनुष गदा जब , 
अभिमन्यु आगे बढ़ आय ।
रोका सबने कैसे करके , 
रहा नहीं था कुछ्छ उपाय ।।

बोले चक्रव्यू तोडूंगा ,
मुझे इंद्र का है वरदान ।
चाहे जान चली जाए पर ,
झुकने नहिं दूंगा सम्मान ।।

वीर धनुर्धर लड़ते-लड़ते , 
द्वार सभी जब तोड़ गया ।
पलकों के झपने से पहले , 
रुख भी युद्ध का मोड़ गया ।।

हरा कौरवों को अभिमन्यु ,
करके सेना का संघार ।
हुआ प्राप्त वीरगति को जब , 
करती जनता बहुत दुलार ।।

Arvind Yadav

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