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आज अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की वीरता को समर्पित एक रचना ।
December 16, 2021Share1 Bookmarks 48277 Reads1 Likes
बात चली जब वीरों की तब ,
अभिमन्यु भी आए याद ।
एक अकेले लड़ते-लड़ते ,
चक्रव्यूह को किया बर्बाद ।।
चली दिनों दिन तेज लड़ाई ,
चला किसी का नहीं उपाय ।
करें कौन बिन अर्जुन के अब ,
बड़ी समस्या रही दिखाय ।।
लेकर अपना धनुष गदा जब ,
अभिमन्यु आगे बढ़ आय ।
रोका सबने कैसे करके ,
रहा नहीं था कुछ्छ उपाय ।।
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