कोरा पन्ना's image
Share1 Bookmarks 64 Reads1 Likes

अनगिनत शब्द

जो देती रही

तुम मुझें


मैं घड़ता रहा

उनसे कविता

पिरोता रहा

तुमकों काव्य जैसा


तुम ही तो थी 

मौजूद...

जैसे मेरे 

मन के कोरे पन्ने पर

उकेर सा तुमकों

अब दिया है

काव्य की लिपि सा


शब्दों से

जब बनतें है भाव

तुम उभर आती हो

कोरे पन्ने पर

बनकर...

शब्दों का महाकाव्य ।।


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts