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तुझसा देखा ना ग़ाफ़िल ...
सफ़र में रवानी अब कहाँ?
महज़ दिल बहलाने का ज़रिया है ,
वरना चाँद ,तारो में मोहब्बत की
निशानी अब कहाँ?
जिंदा तो ह
सफ़र में रवानी अब कहाँ?
महज़ दिल बहलाने का ज़रिया है ,
वरना चाँद ,तारो में मोहब्बत की
निशानी अब कहाँ?
जिंदा तो ह
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