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मैं आज़ाद आसमा का आज़ाद पंछी,
आज़ादी की मैं बात करूँ ।
जो धर्म, समाज की शिक्षा देते,
उन सब से मैं सवाल करूँ ।
हो मंगल सब घर में तुम्हारे,
मुझे देवी बना कर पूजते हो,
जब बात ईमान पर आए मेरे,
मुझे ही ताने देते हो।
करे हैवानियत!
करे हैवानियत कोई और मुझ पर,
तुम समस्या ध्यान से सुनते हो,
जब बात फैसले की आए मेरे,
सारा दोष मुझ ही पर मडते हो।
कर बंद पिंजरे में तुम मुझको,
ऊंची उड़ान भरने को कहते हो,
ख़ुद आज़ादी का जश्न मनाते,
मेरी आज़ादी को तोलते हो।
मैं आज़ाद आसमा का आज़ाद पंछी,
आज़ादी की मैं बात करूँ ।
जो शक चरित्र पर मेरे करते,
उन स
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