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क्यूं इतनी खामोशी है अंदर,
धड़कनों का भी शोरगुल नहीं है,
दिल की हलचल रुक सी क्यूं गई है ।
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क्यूं इतनी खामोशी है अंदर,
धड़कनों का भी शोरगुल नहीं है,
दिल की हलचल रुक सी क्यूं गई है ।
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