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तुम मिले नज़रे मिली,
दिल जिस्म रूह मिल गए,
सांसों में सांसें घुली,
मगर सही कहते हो तुम,
महज़ इत्तेफ़ाक ही होगा,
शामो सहर से बेखबर हो गए,
ख्वाबों ख्यालों में खो गए,
मैं,तू,थे और हम हो गए,
मगर सही कहते हो तुम,
महज़ इत्तेफ़ाक ही होगा...
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