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महज इक रात की बात है,
फिर सूरज निकलेगा,
फिर सहर होगी,
फिर अंधेरें न रहेंगे,
फिर वो मुहब्बत की पहर होगी...
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फिर सूरज निकलेगा,
फिर सहर होगी,
फिर अंधेरें न रहेंगे,
फिर वो मुहब्बत की पहर होगी...
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