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कह भी दो लबों पे आ आके,
जो लफ्ज़ बार बार रुक रहे हैं,
न दबाओ जज्बात अंदर जो उमड़ रहे हैं ...
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जो लफ्ज़ बार बार रुक रहे हैं,
न दबाओ जज्बात अंदर जो उमड़ रहे हैं ...
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