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तुम कहते हो कि तुम ठीक हो
तो मान लेते हैं,
बिन कहे तुम्हारे सब कुछ
हम क्यों जान लेते हैं।
तुम्हें खबर है मेरी मोहब्बत की,
शायद तभी ऐसा करते होगे,
ठीक हैं हम यार, कहकर,
भीड़ में खामोश से रहते होगे।
यूँ ही चलना है सफर -ए -इश्क़,
यह भी स्वीकार लिया है,
भले किसी ज़माने में,
चंद लम्हों में संग,
हमने जिया है!
-त्रिषा।
तो मान लेते हैं,
बिन कहे तुम्हारे सब कुछ
हम क्यों जान लेते हैं।
तुम्हें खबर है मेरी मोहब्बत की,
शायद तभी ऐसा करते होगे,
ठीक हैं हम यार, कहकर,
भीड़ में खामोश से रहते होगे।
यूँ ही चलना है सफर -ए -इश्क़,
यह भी स्वीकार लिया है,
भले किसी ज़माने में,
चंद लम्हों में संग,
हमने जिया है!
-त्रिषा।
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