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हर मौत देखने के बाद, मन उठ से जाता है जिंदगी से!
इतनी मेहनत , कई सपने, इतनी उम्मीदें, कुछ अपने,
छोड़कर ही जाना है जब एक दिन ,
वो दिन , जो न तुम्हे पता है ना किसी को।
वो दिन भी आयेगा बिन बताये, बिन बुलाये।
अजीब सा लगता है सोच के...
बुज़दिल से जी रहे हैं यार हम सब, डरे हुए!
किस से,कब और कौन सी मुलाक़ात आखरी हो , किसे पता है?
घर , माँ, भाई -बहन, अधूरा इश्क़ ..
सब सूना हो जाएगा जिस दिन जाओगे तुम,
हमेशा के लिए।
जी क्यों रहे हैं फिर हम ?
हमारी मौत के बाद किसी की ज़िंदगी नही रुकती
रुकनी भी नही चहिये,
तो क्यों हो जात
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