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तुम तो उस
उड़न की "र" सरीखी हो
जो भले ही उड़ के
जा लगी है... बैठी है
किसी और के संग
पर पढ़ी तो जाएगी.. हमेशा
मेरे ही संग...
उड़न की "र" सरीखी हो
जो भले ही उड़ के
जा लगी है... बैठी है
किसी और के संग
पर पढ़ी तो जाएगी.. हमेशा
मेरे ही संग...
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