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धीरे - धीरे दुःख तुम्हारा जा रहा है
हाँ खुद को अब उबारा जा रहा है
मै लिखने लगा था एक कहानी गलत
सो उस कहानी को सुधारा जा रहा है
मर गया था अपने ही कंधे पे कहीं
सो अब कंधे से उतारा जा रहा है
उस तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँचती
मगर फिर भी उसे पुकारा जा रहा है
~ अर्पित मिसरा
हाँ खुद को अब उबारा जा रहा है
मै लिखने लगा था एक कहानी गलत
सो उस कहानी को सुधारा जा रहा है
मर गया था अपने ही कंधे पे कहीं
सो अब कंधे से उतारा जा रहा है
उस तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँचती
मगर फिर भी उसे पुकारा जा रहा है
~ अर्पित मिसरा
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