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न जाने क्यों आज मेरी आंखें नम हैं,
पता नहीं क्यों मै रो रही हूँ,
न जाने क्यों इतनी चुभन है,
आसमां में भी इक उदासी की झलक है।
मुझे नहीं पता क्यों,
पर मैं क्यों परवाह करूं
जब सब कुछ खत्म हो चुका है।
मेरे मन में एक छवि है,
न जाने किसकी है,
पर क्या कोई ये बताएगा कि
इतनी पीड़ा क्यों
जब सब कुछ खत्म हो चुका है,
जब कुछ बचा ही नहीं है।
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