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टू़टे हुए आइने के टुकड़े जिसमें हमने अपना चेहरा देखा है,
एक में भी वही और सौ टुकड़ों में भी वही देखा है।
इन्सान का नसीब उसकी किसी के लिए चाहत से ही सवंरता है,
अगर कोई किसी को चाहता है तो वो क्या बुरा करता है।
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