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कवि हूं छवि नहीं ,
मुझे कैसे मिटाओगे।
आफताब हूं रवि नहीं,
मुझे कैसे डुबाओगे।
अपनी आवाज़ को शब्दों में लिखता हूं,
उसे कैसे दबाओगे।
तंग पह
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कवि हूं छवि नहीं ,
मुझे कैसे मिटाओगे।
आफताब हूं रवि नहीं,
मुझे कैसे डुबाओगे।
अपनी आवाज़ को शब्दों में लिखता हूं,
उसे कैसे दबाओगे।
तंग पह
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