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‘परछाई’ तभी तक साथ रहती है,जब तक कि आप ‘प्रकाश’ में हों।
‘जीवन’ में ‘अंधकार’ होगा तो ‘परछाई’ भी साथ छोड़ देती है ।।
गौरव पाण्डेय
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‘परछाई’ तभी तक साथ रहती है,जब तक कि आप ‘प्रकाश’ में हों।
‘जीवन’ में ‘अंधकार’ होगा तो ‘परछाई’ भी साथ छोड़ देती है ।।
गौरव पाण्डेय
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