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मेरे दोस्त मेरी एक बात सुनो
यूं खुद से कभी न मरना तुम,
ये आत्मदाह ना करना तुम
कष्ट क्या है ,तकलीफ क्या है
कभी मुझसे बात तो करना तुम
एक को जो ना हल मिले
हम मिलकर राह निकालेंगे
इन मुश्किल के बड़े पहाड़ों को
हम हंसी खेल में ढा लेंगे।
-अर्चित ठाकुर
यूं खुद से कभी न मरना तुम,
ये आत्मदाह ना करना तुम
कष्ट क्या है ,तकलीफ क्या है
कभी मुझसे बात तो करना तुम
एक को जो ना हल मिले
हम मिलकर राह निकालेंगे
इन मुश्किल के बड़े पहाड़ों को
हम हंसी खेल में ढा लेंगे।
-अर्चित ठाकुर
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