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गंतव्य पर पहुंचेंगे यह तो निश्चित नहीं किंतु तुम पड़ाव तो पार करो,
जीत में कैसे जश्न मनाना है वह तो सोच लेंगे, किंतु तुम अपनी क्षणिक हार को भी स्वीकार करो ।
तुम्हें मंजिल से क्या लेना-देना ,तुम बस इन राहों से प्यार करो -२।
माना गिरे हो कई बार लेकिन जिंदा हो ना, तो जब तक जिंदा हो तो शोणित(रक्त) की अंतिम बूंद तक हुंकार भरो।
मत करो विलाप ,न मन में शंका का विचार भरो ,
"पार्थ"अपने कर्म पर अडिग रहो ,तुम बस अपना गांडीव उठाओ और प्रहार करो-२।।
जीत में कैसे जश्न मनाना है वह तो सोच लेंगे, किंतु तुम अपनी क्षणिक हार को भी स्वीकार करो ।
तुम्हें मंजिल से क्या लेना-देना ,तुम बस इन राहों से प्यार करो -२।
माना गिरे हो कई बार लेकिन जिंदा हो ना, तो जब तक जिंदा हो तो शोणित(रक्त) की अंतिम बूंद तक हुंकार भरो।
मत करो विलाप ,न मन में शंका का विचार भरो ,
"पार्थ"अपने कर्म पर अडिग रहो ,तुम बस अपना गांडीव उठाओ और प्रहार करो-२।।
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