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जीवन का सफर यूँ बीत जाता है,
हर वक़्त मौसम कुछ बदला बदला सा नजर आता है |
कभी बारिश की बूंद आंखों का हाल सुनाती है,
कभी तेज लहरें जिंदगी झुंझला देती है |
कभी कङकङाती ठंड में दुबक के रहना पड़ता है,
हर धूप, भूकंप, सूखा सहना पड़ता है |
गर्मी में ठंडी हवा सुकून पहुँचाती है,
बारिश से बच निकलने का काम एक मामूली छतरी कर डालती है
जीवन की घड़ी मौसमों से तय होती है,
ईन मौसमों तकलीफों से जो बच निकले जय जयकार तो उसी की होती है|
मुश्किलें आती जाती रहेंगी,
लेकिन हर काली रात के बाद जैसे सवेरा होता है,
चाँद में दाग होकर भी वो कितना निखरता है
वैसे ही मौसम बदलते रहेंगे,
कभी खुशी तो कभी गम लाते रहेंगे,
चेहरे की बाईस मांसपेशियां खींचे जो बदलते मौसमों की तरह मुश्किलों को आते देख मुस्कराता है, असली मुकद्दर का सिकंदर तो वहीं कहलाता है ||
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