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मैं भाषा हूँ।

ArchanashenoyArchanashenoy October 6, 2021
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भासते इति भाषा कहें विद्वान।

आत्म ज्योति कहे अनेक महान।

मेरी पहचान है अनोखी।

सरल, सहज, शुद्ध सुरीली।

भावनाओं की अभिव्यक्ति सागर सी।

प्रकृति के कण कण में बसी हूँ।

मौखिक, श्रवण, लिखत रुप में

सप्त स्वर, बच्चे की किलकारियां

माँ की ममता, ऋचाओं की संवेदना, 

साह

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