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ध्येय हो अगर मोक्ष
तो निर्भयता हो तेरी पहचान
भर अपनी उड़ान बेख़ौफ़
बे - हद्द आसमाँ के तले ।
तो क्या जो आसाँ नहीं ये सफ़र
मंज़िल- ए - मक़सूद को
फक़्त तिश्नगी चाहिए ।।
अन्विता
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ध्येय हो अगर मोक्ष
तो निर्भयता हो तेरी पहचान
भर अपनी उड़ान बेख़ौफ़
बे - हद्द आसमाँ के तले ।
तो क्या जो आसाँ नहीं ये सफ़र
मंज़िल- ए - मक़सूद को
फक़्त तिश्नगी चाहिए ।।
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