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वो गर्मी कुई छुट्टियों में कमरे की खिड़की पे लटके रहना,
और धूप से जाने की गुहार लगाना,
शाम का इंतजार करना, और उसके आते ही निकल पड़ना, गेंद और बल्ला लिए।
वो शामें ही थीं, जो आपको एक मौका देती थी अपना बुरा बीता हुआ दिन वापस जीत लेने को।
वो अनगिनत किस्से, लगातार बदलती तस्वीरें,
वो रोज़मर्रा की चुगलियां, सुबह से शाम तक का निचोड़,
इन सब में जो एक बात वहीं रही वो शाम थी।
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