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"इक लम्हा तलक चुभता हैं
तुम्हारे बिन
ना जाने शाखों ने परिंदे
बिन वक्त कैसे बिताया
होगा"
तुम्हारे बिन
ना जाने शाखों ने परिंदे
बिन वक्त कैसे बिताया
होगा"
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