
रिश्ता और भरोसा
तेरे आने की चाहत में यु जलते थे।
तेरे जाने के डर से हम भी डरते थे।।
हुस्न तेरा यु ही बस बेपरवाह है जानते थे।
पर फिर भी प्यार भरे दो पल के लिए जतन करते थे।।...१
वक्त मुलाकात का आए घड़ी को यु तकतें थे।
वो तनहाई के लम्हें बड़े लंबे गुज़रते थे।।
तुम मिलते थे वक्त का होश भी ना होता था।
घड़ी के कांटे जैसे तेजी से उस वक्त गुज़रते थे।।...२
हर मौसम हसीन और रंगीन से लगते थे।
सपने जो भी देखो सब सच हुआ करते थे।।
जहाँ सारा अपना और तुम सबसे न्यारे लगते थे।
दिखने वाले सब नज़ारे बस हमारे ही लगते थे।।...३
ना मालूम क्यों वक्त ने फिर पलटा खाया था।
तुम्हारे हमारे दरमियाँ दूरियों को बढ़ाया था।।
गलत फहमियो का दौर जैसे तूफान कोई आया था।
रिश्ते टूट गए बस साथ फिर अपना इक साया था।।...४
गुज़रे हुए वो लम्हें आज भी जब याद आते हैं।
बीते हुए पल की याद सब ताज़ा कर जाते हैं।।
काश ऐसा होता काश वैसा होता सोचते हैं।
जो गुजर गया वक्त उसे कहां हम बदल पाते है।।...५
सोचा जो बिता पल तो बस यही पाया था।
समय ने उस वक्त हमको आजमाया था।।
भरोसे का साथ हम दोनों ने तब ना निभाया था।
इसीलिए रिश्ता दो कदम भी ना चल पाया था।।...६
बीते वक्त ने हमें यह बात कुछ यु सिखाई है।
एक दूजे पर भरोसा रिश्तों की सच्चाई है।।
आग लगाने की तो दुनिया ने फ़ितरत पायी है।
बस्ती तो हमारी है वो आज हमने बचाई है।।...७
---अनुज गुप्ता
बरेली(उत्तर प्रदेश)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments