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किसी ने कहा कि,
जिंदगी धीरे-धीरे मरने का नाम है,
फिर,
ना जाने क्यों इंसान इस बात से अनजान है,
ना जाने क्यों वो देता खुद को ना ख़तम होने वाला काम है,
ना जाने क्यों वो डरता होने से बदनाम है,
ना जाने क्यों वो सोचे जैसे उसे पता नहीं के यही इसका अंजाम है,
ना जाने क्यू वो करे रोज़ हज़ारों गलत काम
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