
जो लिखने बैठे तो तेरा नाम लिख दिया
हर दुआ में तुझे सलाम लिख दिया
जो याद आयी तेरी तो
कर गयी थी तू बदनाम लिख दिया
तुझे भूलने का सोचा तो
भूलने वाले दिल को जनझोर हमें दिया
तुझे भुला ना सके कभी
तभी तेरी यादों को बेज़ोर लिख दिया
जो तेरा हंसकर बुलाना था
उसको हम ने अपना ज़ोर लिख दिया
जो तेरा दिल लुभाना था
उसको हम ने कमजोर लिख दिया
शायद इसीलिए तुझे चितचोर लिख दिया
हमने तुझे अपनी माना था
पर तुझे किसी ओर के नाम लिख दिया
तुझे इसमें ख़ुशी मिली तभी बेसोच लिख दिया
तेरी मेरी कहानी को कमजोर लिख दिया
थोड़ी मीठी थोड़ी तीखी स्वादहीन लिख दिया
जो बिताए पल तेरे साथ भूत काल समझ
उसे वर्तमान में भवशियहीन लिख दिया
अपनी ज़िंदगी की हर ख़ुशी को
तेरे होठों की मिठास लिख दिया
तू भले ही किसी और का है अब
पर अपनी ज़िंदगी को तेरे नाम लिख दिया
करकती धूप में भी तुझे
एक प्यार भरी शाम लिख दिया
जो हज़ारों तोहफ़े दिए थे
अपना आप भी वैसे ही तेरे नाम लिख दिया
जो लिखने बैठे तो तेरा नाम लिख दिया,
हर दुआ में तुझे सलाम लिख दिया ॥
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