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हे मानव!
ये कौन तुझे डरा रहा
तू क्यों इतना घबरा रहा
तू भक्त है महाकाल का
है रक्त तू जगदम्बा का
जगा जगा तू शक्ति को
हौसलों का त्रिशूल उठा
इस दानव (बुराई) को पहचान तू
प्रहार कर प्रहार कर
भरोसे का तू बाण छोर
शिव का अंश है तू
डर का तू बिधवंस कर
है कोई भी दानव नही
शक्ति से जो जीता कभी
जयकार कर जयकार कर
उस शक्ति को आह्वान कर
फिर देख वो दानव हारेगा
वो हारेगा वो हारेगा
प्रहार कर प्रहार कर
शिव की ज्वाला है तू
उसे राख कर उसे राख कर
लगा विजय की भभूत मस्तक पे
शिव शक्ति का जयकार कर
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