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मैं कहीं दूर डूब रही थी
शाम की तरह
रात में।
मैं कहीं दूर भटक रही थी
प्यासी मृग की तरह
मृग मरीचिका में
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मैं कहीं दूर डूब रही थी
शाम की तरह
रात में।
मैं कहीं दूर भटक रही थी
प्यासी मृग की तरह
मृग मरीचिका में
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