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गालियों से प्रताड़ित स्त्रियों के ज़ख्म
दिखते नहीं
इसलिए कभी भरते नहीं
ये नासूर बन कर
औरत की आवाज़ और
स्वाभिमान को खामोश मौत
देते हैं
विडंबना ये हैं ऐसी स्त्रियों
की वेदनाए
लिखी पढ़ी नहीं गयी
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