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अजीब रंग हैं सियासत के
धर्म की मदिरा में डूबा कर
किसी को कुलाहड़ी पकड़ाती है
तो किसी को तलवार नशे में चूर
जनता काट कर खुद के हाथ
झूमती हैं नशे में
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