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प्रेम मे वक्त निर्धारित नहीं होता
वक्त प्रेम का इंतजार करता है
जब तुम्हे लगे प्रेम असमर्थ है
वक्त तक पहचने मे
तो आवश्यक है समझना
जो तुम्हारे पास है वो भ्रम है
असल मे वक्त अपना पता
बदल चूका होता है
क्योकि निर्धारित है
प्रेम का वक्त तक पहुंचना
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