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अजनबी जिस्म हो सकते है
चेतना को कैसे काबू करोगे
मोहब्बत मे कहा वजूद
का हिसाब होता है
तुम मुझें बुलाओ
मै तुम्हे बुलाऊ
भूल जाओगे ये सब बाते
जिस दिन दर्पण मे मुझें पाओगे
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