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खेत में पड़े पत्थर और उगी घास,
उदास खेत में अब जोतने को रह क्या गया|
महल था तो कभी था,
अब इस खंडहर में रह क्या गया|
शहर चले गए सभी अब,
दादी की लाठी के सिवा रह क्या गया|
और अपनों ने भी छुड़वा लिए मेले में हाथ,
अब मेले में देखने को रह क्या गया|
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