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चंचल मनवा डोल रहा है हौले हौले
अपनी परते खोल रहा है हौले हौले
सोच सोच कर फिर बकता है
बुन कर बातें न थकता है
बात पुरानी बोल
अपनी परते खोल रहा है हौले हौले
सोच सोच कर फिर बकता है
बुन कर बातें न थकता है
बात पुरानी बोल
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