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तस्वीर बदल देने से क्या जिंदगी बदल जाती है?

Ankur MishraAnkur Mishra October 7, 2022
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तुम्हारी और मेरी

एक लड़ाई अब भी बची है,

मै बस इंतजार कर रहा हूँ

पहले जो लड़ाई खुद से लड़ रहा हूँ

उसे जीत लू,

फिर तुमसे भी लडूंगा !

हर रोज़ तुम जो सामने आईने में आ जाती हो

और खुद ही खुद को देखकर

पलक झपकते ही चली जाती हो

क्या जरूरत है रोज़ाना इतना दूर चलकर आने की

यादें ही बहुत है न !

और हाँ!

तस्वीरें भी तो छोड़ी है न तुमने

अब ये बहुत चुभती है

वक्त इन्हे घिस घिस कर और कोरा’ बना रहा है !

सुनो कल गया था मैं,

बगल वाले उस पार्क में,

वहाँ सब थे – सब मगर..

उस झूले में तुम नज़र आयी.

उदास, शांत, चोटिल

यादें जरूर थी वहां

उनके साथ कोई तो था जो खेल रहा था

शोर मचा रहा था

पता नहीं कौन था,

कोई जानने वाला ही रहा होगा तुम्हारा

जिसे तुम अच्छे से समझती होगी !

सुनो कल वो कमरे के कोने की कील भी

तुम्हारे बारे में पूछ रही थी

जिस पर कभी – कभी आकर तुम अपना

बैग लटका देती थी

बोझा उठाने की आदत हो गयी थी उसे

आज बहुत हल्का महसूस कर रही है !

कोने में पड़ी मेज और कुर्सिया

आपस में बहुत बाते करते है

लड़ते है, शोर करते है

बेचारे अकेले पड़ गए है न !

तुम्हारी बातें सुनकर जो कभी – कभी

मुस्कुरा लेते थे इतरा लेते थे

वो, अब मुझसे बाते भी नहीं करते !

कितनी आसान कर दी हैं न तुम्हारी जिंदगी

मुझ पर कुछ मुश्किलों ने आकर !

वक्त भी कल कुछ बात कर रहा था

तस्वीरें बदल बदल कर

नयी जिंदगी बना रहा था

तस्वीर बदल देने से क्या जिंदगी बदल जाती है?

खैर छोड़ो

तुम्हे याद है न 

तुम सब भूल जाती हो !

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