
Share0 Bookmarks 11 Reads0 Likes
सोचता हूं, के कौन हूं मैं,
लहरों के भीतर एक सहमा समंदर,
या तूफानों को छूती, लेहरों का बवंडर,
उकसाती आंधियों में बहता सा इक झोंका हूं,
या चीखते शोर में पसरा, मौन हूं मैं,
सोचता हूं, के कौन हूं मैं...
बुलबुलों सा जीवन मेरा,
कब शुरू कब अंत मेरा,
सांसों सा आता जाता जिसम में,
बस चलते ही रहना, मकाम मेरा,
खुद से जूझता, बस यही पूछता,
क्यूं सवालों के पीछे, हैरान हूं मैं,
सोचता हूं, के कौन हूं मैं....
हो सहर का उजाला ,या हो रात काली,
हो भरा ये जीवन, या हो जेब खाली,
हालात के हैं मारे, राजा या रंक सारे,
हंसता है वक्त सबपे, दे दे के अपनी ताली,
खुद से जूझता, बस यही पूछता,
क्यूं हालातों के आगे, परेशान हूं मैं,
सोचता हूं, के कौन हूं मैं....
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments