Reaction/Reflecting Mind's image
Share0 Bookmarks 120 Reads0 Likes


यूँ ही इतनी प्रतिक्रिया करूँ |

किस बात का अहंकार धरूँ |


हवा, पानी, प्रकृति तुम्हारी |

शस्य श्यामलां धरती तुम्हारी |

हर जीवंत कार्य में शक्ति तुम्हारी |


ना जाने क्यूँ अविश्वास करूँ |

किस बात का अहंकार धरूँ |


मानव जीवन की कल्पना तुम्हारी |

सभ्यता और संस्कृति तुम्हारी |

हर साँस भी है देन तुम्हारी |


फिर क्यूँ मैं माया में फंसू |

किस बात का अहंकार धरूँ |


यूँ ही इतनी प्रतिक्रिया करूँ |


- by Ankur Aggarwal

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts