
Share0 Bookmarks 276 Reads0 Likes
बहुत बड़ी-बड़ी हाँकता हूँ,
स्वयं को छोड़ सभी को आँकता हूँ,
धन, दौलत, सम्पदा क्या ख़ाक बाटूंगा,
निशुल्क प्रेम तो बांट नही पाता हूँ |
~ अंकुर अग्रवाल
No posts
No posts
No posts
No posts
बहुत बड़ी-बड़ी हाँकता हूँ,
स्वयं को छोड़ सभी को आँकता हूँ,
धन, दौलत, सम्पदा क्या ख़ाक बाटूंगा,
निशुल्क प्रेम तो बांट नही पाता हूँ |
~ अंकुर अग्रवाल
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments