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ईश्वर जब मुझसे खुश हुआ |
तब मैं आदमी से पिता हुआ |
तुम्हारा निश्चल मन, ये भोलापन,
करते नई नई अठखेलियाँ |
ठुमक चाल, हृदय विशाल,
भाषा उत्पन्न करती नित नई पहेलियाँ |
और तुम्हारे चुम्बकीय आकर्षण के आगे,
मेरा बुद्धि, ज्ञान, कौशल सब गौण हुआ |
ईश्वर जब मुझसे खुश हुआ |
तब मैं आदमी से पिता हुआ |
अपनी भाव भंगिमाओं से,
जाने क्या-
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