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खुद में तुमको पाता हूँ,
नित नए गीत गाता हूँ,
तुम्हारी कृपा से हे ईश्वर,
ये नव वर्ष मनाता हूँ |
इच्छा है पावन हो जाऊँ,
बारिश की बूंदे,
कोयल की कू कू,
महकता सावन हो जाऊँ,
गिन गिन रहमतें तेरी,
मन ही मन इतराता हूँ |
तुम्हारी कृपा से हे ईश्वर,
ये नव वर्ष मनाता हूँ |
~ अंकुर अग्रवाल
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