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समय है अंंतर में जाने का |
घट स्थित परब्रह्म को पाने का |
बाहर बहुत जाना है हमने |
विज्ञान को सब कुछ माना है हमने |
मैं को बड़ा पाला है हमने |
सोचते थे सब पा लेगें हम |
उलझनें खुद सुलझा लेंगे हम |
दुनिया नई बना लेंगे हम |
एक क्षण में भ्रम दूर हुआ |
भौतिकता का नशा चूर हुआ |
तुमसे इतना दूर हुआ |
यही मौका है मनन में जाने का |
घट स्थित परब्रह्म को पाने का |
- by Ankur Aggarwal
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