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ये जो गुलाबी लिबास जो ओढ़कर आये हो,
क्या मेरे क़त्ल का इरादा कर के आये हो?
तुम्हारे इश्क़ के क़फस में क़ैद एक परिंदा हूँ मै,
तो क्या मेरी साँसें रोकने का ज़हर साथ लाये हो?
एक झलक क्या देख ली तुम्हारी हम तो दर-बदर हो गये, खुद को आईने की नज़र से बचाने का काजल लाये हो?
दो पल राब्ता करने की तमन्ना थी सीने में मेरे,
क्या दरयाफ़्त का ख़त साथ लाये हो?
नज़र भर देखना चाहते थे तुम्हें पर देख ना पाये,
एक तस्वीर मुझे दिल में देने की इज़ाज़त लाये हो?
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