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यूँ ज़ुल्फें बिखरा कर जो आप सामने आये हो,
ज़रा ये भी बता दो क्या इरादे नेक लाये हो।
क़फस-ए-ज़ुल्फ के पीछे छुपा है एक क़ातिल,
पर क्या मेरी क़ुर्बानी का खंजर साथ लाये हो।
निगाहों की हया ने तुमको बना दिया है कोहिनूर,
पर क्या इस हुश्न का कद्रदान साथ लाये हो। No posts
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