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एक सुबह जब मैं आंखे खोलूंगा

मै पाऊँगा सामने तुम्हें, खिल खिलाते हुए

एक सुबह जब मैं जगुँगा


मै भी मुस्कुराते हुए नींद भरी आंखो से बाहर आऊँगा,

और कोशिश करूँगा तुम्हारा हाथ पकड़ने की

तब तुम नजरें झुकाते हुए

मेरे पास से उठ जाओगी

और ये कहते हुए खिड़की के पर्दे खोलोगी

कि उठो अब सुबह हो गयी है।

एक सुबह जब मैं आँखें खोलूंगा


मै बिस्तर पर उठ कर बैठ जाऊँगा

और तुम गीले केश मेरी तरफ

छिटकाते हुए पानी की नन्ही बूंदें मुझ पर गिरओगी

और पलट के मेरी तरफ देखोगी

आंखो में लाज भर कर

एक सुबह जब

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