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तुम्हारी आँखें बड़ी प्यारी बोलती हैं,
जरा इनकी बातें समझने दो,
आज मौन होके बातें करनी है मुझे,
अभी लफ्ज़ों को चुपचाप रहने दो।।
तस्वीर सा कैद हो जाए ये वक्त,
बस कुछ पल हमें साथ रहने दो,
खुलती ज़ुल्फों को सँवारने दो,
और बस चेहरे को निहारने दो।।
ना मौजूदगी हवस की रहे,
ना ही जिस्म का जिक्र हो,
जो कुछ दरमियाँ है हमारे,
उसे जैसा है वैसा ही रहने दो।।
बारिश का ये मौसम है,
हल्की फुहार चेहरे पर पड़ने दो,
ना तुम कुछ बोलो,
और ना ही मुझे कुछ कहने दो।।
 
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