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कितना सही हूँ मैं ये किसको लगता है
मेरी बात का बुरा मगर सबकों लगता है
पूछता हूँ जब इतने दिन बाद याद किया है
कहते हैं सब वक़्त इतना सबकों लगता है
गलत तो सब के सब लगते हैं यहां सबकों
मगर सही कौन है यहां किसको लगता है
वो कहता है कोई प्यार नही करता हमसे
मगर ईश्क ख़ूब है उससे ये हमकों लगता है।
- अंकित कन्नौजिया
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